दोस्तों, आप इस में पढ़ेंगे कि किस प्रकार पंजाब राज्य से हरियाणा राज्य बना । इसमें आपको पूरी जानकारी step by step पढ़ने को मिलेगी । फिर भी अगर कोई कमी रह जाती है तो आप हमें Comment के माध्यम से बता सकते हैं ताकि हम उस जानकारी को इसमें Add कर सकें ।
- सन 1858 ईo में अंग्रेज़ो ने हरियाणा को पंजाब में मिलाया लेकिन जब भारत आजाद हुआ तब भी हरियाणा पंजाब का ही हिस्सा रहा ।
- सन 1926 ईo में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन में पीरज़ादा मुहम्मद हुसैन (स्वागत समिति का अध्यक्ष) ने हरियाणा को पंजाब से काटकर दिल्ली में मिलाने की आवाज उठाई । वे रोहतक के गाँव महम के रहने वाले थे। कुरुक्षेत्र university के इतिहास विभाग के डीन और 'हरियाणा का इतिहास पुस्तक ' के लेखक डाo केसी राव बताते हैं कि लीग की मंशा हरियाणा में खुद जड़ें फैलाने की थी। 1928 में दिल्ली प्रदेश कमेटी ने भी इसी मांग को दोहराया था ।
- तीन साल बाद 1931 में लंदन में हुई दूसरी गोलमेज काॅन्फ्रेंस में इस मांग (हरियाणा को दिल्ली में मिलाने) की जोरदार गूंज सुनाई पड़ी।
- 9 सितंबर 1932 को दीनबंधु गुप्त (हरियाणा और दिल्ली का प्रख्यात राष्ट्रवादी नेता) और 1946 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. पट्टाभि सीतारमैया ने हरियाणा को पंजाब से अलग करने की माँग उठाई ।
- हरियाणा 1947 में पूर्वी पंजाब का हिस्सा बना था ।
- सन 1948 में मास्टर तारा सिंह ने अपने पत्र ' अजीत ' में पंजाबी सूबा से आगे 'सिक्ख राज्य' की मांग की, कम्युनिस्ट पार्टी पैप्सू ने इस बात का मखोल उड़ाया और पंजाबी सूबे की बात की जो काफी लोगों को पसंद आ गई ।
- जब भारत आजाद हुआ तो पंजाब प्रांत में पंजाबी और हिन्दी भाषा को लेकर लोगों में मतभेद होना शुरू हो गया । उस समय के मुख्यमंत्री द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए एक फॉर्मूला बनाया गया । पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर के नाम पर 'सच्चर फॉर्मूला ' 01 अक्तूबर 1949 को बनाया गया । इसके द्वारा पंजाब को दो हिस्सों में भाषा के आधार पर बांटा गया - पंजाबी क्षेत्र और हिन्दी क्षेत्र । पंजाबी क्षेत्र में सरकारी भाषा पंजाबी और हिन्दी क्षेत्र में हिन्दी तय की गई । हिन्दी क्षेत्र के हर स्कूल में पंजाबी और पंजाबी क्षेत्र में हिन्दी को द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाया जाना जरूरी था । सच्चर फॉर्मूला लोगों को पसंद नहीं आया, खासकर हिन्दी क्षेत्र में यह बहुत बदनाम हुआ। लोगों का मत था कि हम पंजाबी को अनिवार्य रूप से क्यों पढ़ें ।
- 29 दिसंबर 1953 को भारत सरकार द्वारा सैयद फज़ल अली की अध्यक्षता में 'फजल अली आयोग ' का गठन किया गया। इस आयोग की रिपोर्ट को 1955 में प्रस्तुत किया गया । इस आयोग की रिपोर्ट में पंजाब राज्य को ज्यों का त्यों रखा गया क्योंकि आयोग का मानना था कि नए राज्य के गठन से भाषा विवाद समाप्त नही होगा ।
- 1956 से पहले सिर्फ लोगों में भाषा को लेकर ही मतभेद था परंतु प्रताप सिंह कैरों के शासनकाल (1956-64) में हरियाणा राज्य की मांग को लेकर जैसे लोगों में आग से लग गई हो। लोग अलग राज्य की मांग करने लगे ।
- भारत सरकार ने 1956 में क्षेत्रीय फॉर्मूला लागू करके पंजाब को पंजाबी क्षेत्र व हरियाणा क्षेत्र में विभाजित कर दिया। हिन्दी क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष के रूप में बलवंत तायल को चुना गया ।
- सन 1960 में सिखों के नेता मास्टर तारा सिंह ने पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया ।
- सन 1965 में लोकसभा के अध्यक्ष सरदार हुक्म सिंह की अध्यक्षता में पंजाब विभाजन के लिए एक समिति का गठन किया गया । इस समिति की सिफ़ारिशों को सही मानते हुए 23 अप्रैल 1966 को सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री जे सी शाह की अध्यक्षता में पंजाब सीमा आयोग (जे सी आयोग )का गठन किया गया । इस सीमा आयोग में तीन सदस्य थे - जे सी शाह, श्री एस दत्त और श्री एम एम फिलिप । 31 मई 1966 को सीमा आयोग द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत करके सीमा को बाँट दिया गया । श्री एस दत्त ने खरड़ और चंडीगढ़ को हरियाणा में शामिल करने की सिफ़ारिश नहीं की ।
- पंजाब सीमा आयोग रिपोर्ट के आधार पर 'पंजाब पुनर्गठन विधेयक ' लोकसभा द्वारा 18 सितंबर 1966 को पारित कर दिया गया ।
- 05 जुलाई 1966 से 01 नवंबर 1966 (119 दिन ) तक पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू रहा
- 01 नवंबर 1966 को देश के 17वें राज्य के रूप में हरियाणा राज्य बन गया। इसी दिन को हरियाणा दिवस के रूप में मनाया जाता है । श्री धर्मवीर को राज्य का प्रथम राज्यपाल और पंडित भगवत दयाल शर्मा को प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया ।
अनुच्छेद 21 के अनुसार कहा गया था कि पंजाब और हरियाणा की सांझी हाईकोर्ट होगी ।